प्यार का क्या है! प्यार का क्या है!
और तुम... तुम मुझमें रहकर भी मुझसे जुदा हो। और तुम... तुम मुझमें रहकर भी मुझसे जुदा हो।
बन कर फल कभी थोड़े कच्चे तो कभी थोड़े पक्के, लटकते अधटूटी टहनियों से दिखावी रिश्ते। बन कर फल कभी थोड़े कच्चे तो कभी थोड़े पक्के, लटकते अधटूटी टहनियों से दिखा...
कभी छाँव तो कभी धूप ज़िन्दगी बदले कितने ही रूप ज़िन्दगी, कभी कौवे की कर्कश वाणी सी क कभी छाँव तो कभी धूप ज़िन्दगी बदले कितने ही रूप ज़िन्दगी, कभी कौवे की कर्कश ...
अपनी अहमियत बताने को, लड़ता हूँ उस से कभी कभी उसे मनाने को। अपनी अहमियत बताने को, लड़ता हूँ उस से कभी कभी उसे मनाने को।
लेकिन उत्सवों में तुम आंखों का नूर बन उभरती हो लेकिन उत्सवों में तुम आंखों का नूर बन उभरती हो